Published On May 4, 2024
सावधान : इसकी खेती की तो खैर नहीं | Paddy Farming and Cultivation | Water Crisis | गाँव TOP 10
खरीफ के लिए वैज्ञानिकों ने तैयार की प्याज की नई किस्म
कृषि वैज्ञानिकों ने प्याज की नई किस्म तैयार की है। ये खरीफ में भी अच्छा उत्पादन देती है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की प्याज की पाँच उन्नत किस्मों में से भीमा शुभ्रा प्याज की पैदावार छत्तीसगढ़ की जलवायु में अच्छी पाई गई है। खरीफ सीजन में इस प्याज की पैदावार लगभग 42 टन प्रति हेक्टेयर तक मिलती है। वैज्ञानिकों का मानना है की अगर किसान इन इलाकों में प्याज की खेती करते हैं तो इससे प्याज का उत्पादन बढ़ेगा और प्रदेश में प्याज की कमी नहीं होगी।
सावधान: इसकी खेती की तो खैर नहीं
पानी की अधिक खपत के कारण धान की किस्म पूसा-44 की खेती पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी IARI की तरफ से तैयार इस किस्म को करीब तीन दशक पहले विकसित किया गया था। इसे खेत में लगाने से लेकर कटाई तक में 155-160 दिन का समय लगता है । पंजाब के कृषि विभाग ने धान की इस वैरायटी की खेती पर छापेमारी का निर्देश दिया है।
इस वजह से है पूसा-44 वैरायटी की ज़्यादा माँग
पूसा-44 वैरायटी अधिक उपज देती है, इसलिए चावल सेलर और आढ़ती इसे लगाने के लिए सुझाव देते हैं। इसलिए पूसा-44 वैरायटी से किसानों के साथ-साथ सेलर और आढ़तियों के लिए भी लाभदायक है। यही वजह है की किसान धान की उन्नत किस्म पीआर 126 होने के बावजूद इसकी खेती के फ़िराक में हैं। जबकि दूसरे सभी उन्नत बीज कृषि विज्ञान केंद्रों और कृषि विश्वविद्यालयों से भी किसान भाई खरीद सकते हैं।
ऐसे करें नए किस्म का बीज उपचार
कृषि जानकारों की सलाह है कि नर्सरी में बीज बोने से पहले बीजों को बाविस्टिन से उपचारित करें। इसके लिए 2 ग्राम बाविस्टिन को 1 लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार करें और फिर इस तैयार मिश्रण से 1 किलोग्राम प्याज के बीज को उपचारित करें। इसके अलावा डैम्पिंग ऑफ और अन्य बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए 1 किलो बीज के लिए 8-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा विराइड को 50 मिलीलीटर पानी में मिलाकर जैव कवकनाशी का उपयोग करें।
झरखंड में पारा 40 डिग्री के पार, ज़रूरी हो तभी निकले बाहर
झारखंड के 12 जिलों में तापमान 40 डिग्री को पार कर गया है। मौसम विभाग के अनुसार 6 मई के बाद लोगों को इससे कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। इस बीच रांची सहित कई जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। सरायकेला खरसांवा, पूर्वी सिंहभूम, पाकुड़ और गोड्डा में कहीं कहीं पर भीषण लू की स्थिति देखी जा सकती है। इन जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
कल से यूपी के कुछ हिस्सों में हो सकती है बारिश
कल से 8 मई के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ स्थानों पर बारिश होने की संभावना है। हरियाणा चंडीगढ़-दिल्ली, पंजाब और पश्चिमी राजस्थान में हल्की बारिश हो सकती है। 5 मई तक ओडिशा, गंगीय पश्चिम बंगाल में गरज और बिजली के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है और उसके बाद 6 से 9 मई के दौरान छिटपुट से लेकर व्यापक बारिश होने की संभावना है।
ऐसे तरकीब से मशरूम देगा पूरा मुनाफा
अगर आप भी मशरूम की खेती करते हैं तो उसकी तुड़ाई पर विशेष ध्यान दें। इससे न सिर्फ पूरा उत्पादन मिल सकेगा बल्कि नुक्सान भी कम होगा। सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि तुड़ाई से पहले पानी का छिड़काव ना किया जाए। इससे फलन में पानी अधिक होने से मशरूम के खराब होने की आशंका बढ़ जाएगी। तुड़ाई के समय अंगूठे और अंगुली की मदद से फलन को घुमाकर तोड़ें और कम से कम दबाब लगाकर मशरूम को जख्मी होने से बचाया जाए। तुड़ाई के लिए क्रेट्स या टोकरियों का प्रयोग करें।
शहर में भी कर सकते हैं इस तकनीक से खेती
कम जगह में अधिक उत्पादन चाहते हैं तो हाइड्रोपोनिक फार्मिंग भी अच्छा विकल्प हो सकता है। कृषि जानकारों का कहना है कि खेती की इस तकनीक में मिट्टी की नहीं बल्कि सिर्फ पानी की जरूरत होती है। हाइड्रोपोनिक फार्मिंग में मिट्टी की जगह बालू या कंकड़ों को उपयोग किया जाता है। इस तरह की फार्मिंग का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें बदलते और बिगड़ते मौसम का फसल पर कोई असर नहीं पड़ता, क्योंकि इसमें किसान अपने हिसाब से जलवायु को नियंत्रित करके खेती करते हैं।
ऐसे की जाती है हाइड्रोपोनिक फार्मिंग
हाइड्रोपोनिक फार्मिंग में मिट्टी की ज़रूरत नहीं पड़ती है। सिर्फ पाइप चाहिए। इन पाइपों में समानांतर दूरी पर छेद किए जाते हैं, इसके बाद इन छेदों में पौधे एक तरह से रोपाए जाते हैं जिनकी सिर्फ जड़ें ही पाइप के छेद से अंदर जाती हैं और पौधे पाइप के छेद से बाहर रहते हैं। छेद किए हुए इन पाइपों में इसके बाद पानी, बालू, कंकड़ या फिर कोकोपीट भी मिलाई जाती है।
खरबूज खरीदने से पहले चेक कर लें कहीं इंजेक्शन से तो नहीं पका है
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर केमिकल या इंजेक्शन से पके खरबूज का आप सेवन कर रहे हैं तो बामरियाँ हो सकती हैं। क्योंकि कहीं कहीं फलों को इनदिनों कैल्शियम कार्बाइड जैसे रसायनों का इस्तेमाल कर जल्दी पकाया जा रहा हैं, जो नमी के संपर्क में आने पर एथिलीन गैस छोड़ता है। इस गैस के प्रभाव से पेट में खराबी और गैस की समस्या हो सकती है।
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