भारत और पाकिस्तान के बीच – सिखों की दुविधा [The Sikh Dilemma] | DW Documentary हिन्दी
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 Published On Feb 28, 2022

20.01.2020 - भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा से रिश्ते तल्ख रहे हैं, लेकिन कम-से-कम एक जगह है जहां कुछ उम्मीद दिख रही है. हिंदुस्तानी सिख अपने सबसे पवित्र स्थानों में से एक की तीर्थयात्रा कर सकें, इस मकसद से दोनों देशों के बीच एक “शांति गलियारा” शुरू हुआ है.

सिख भारत में चौथे सबसे बड़े धार्मिक समुदाय हैं, लेकिन वे खुद को भारत-पाकिस्तान और हिंदू-मुसलमान की पाटों के बीच फंसा हुआ पाते हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा सिख भारत में रहते हैं. 1947 में हुए बंटवारे के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच जिस तरह का कड़वापन रहा, उसके चलते दशकों तक सिख अपने सबसे पवित्र तीर्थस्थानों में नहीं जा पाए. दोनों देशों के बीच कायम मौजूदा राजनैतिक तनाव, खासतौर पर कश्मीर को लेकर बनी कड़वाहट के बावजूद बंटवारे के 74 साल बाद, भारत और पाकिस्तान ने 2 दशक पहलेकिया एक वादा पूरा किया. सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक की 550वीं सालगिरह के मौके पर हिंदुस्तानी सिख सीमा पर बने एक नए रास्ते द्वारा पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरु नानक के समाधि स्थल तक जा सकेंगे, जो सीमा से चार किलोमीटर दूर है.

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने कार्यक्रम के मुताबिक करतारपुर गलियारे का उद्घाटन तो किया, मगर साझा समारोह में नहीं. दोनों ने ही एक नए ‘शांति गलियारे’ की बात कही. 9 नवंबर, 2019 को इस गलियारे की शुरुआत हुई. यह संयोग नहीं था कि इसी तारीख को बर्लिन दीवार गिरने की भी वर्षगांठ होती है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों ऐतिहासिक मौकों की तुलना भी की.

यह डॉक्यूमेंट्री एक बेहद खास तीर्थयात्रा पर पहली बार पाकिस्तान जा रहे एक भारतीय सिख की कहानी कहती है.

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