Published On Feb 16, 2024
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अर्जुन की ध्वजा पर हनुमान का चिन्ह भी विजय का सूचक है, भगवान कृष्ण साक्षात राम हैं और जहां भी श्री राम रहते हैं वहां उनका नित्य सेवक हनुमान होता है
अत: अतहा अर्जुन के लिए किसी भी शत्रु से भय का कोई कारण नहीं है
अथ व्यवस्थितान्दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान् कपिध्वज: |
प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डव: ||20||
हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते |
उस समय हनुमान से अंकित ध्वज लगे रथ पर आसीन पांडुपुत्र अर्जुन अपना धनुष उठा कर तीर चलाने के लिए उद्यत हुआ।
संजय ने कहा
हे राजन! धृतराष्ट्र के पुत्रो को वियुह में खड़ा देखकर अर्जुन ने श्री कृष्ण से ये वचन कहे
युद्ध आरंभ होने वाला था, पांडव सेना की व्यू रचना देखकर कुरु सेना कुछ निराश थी क्योंकि युद्धभूमि में पांडवो का निर्देशन भगवान कृष्ण के आदेशानुसार हो रहा था।
अर्जुन की ध्वजा पर हनुमान का चिन्ह भी विजय का सूचक है, क्योंकि हनुमान ने राम तथा रावण युद्ध में राम की सहायता की थी जिससे श्री राम विजय हुए थे
इस समय अर्जुन की सहायता के लिए उनके रथ पर श्री राम तथा हनुमान दोनों उपस्थित थे. भगवान कृष्ण साक्षात राम हैं और जहां भी श्री राम रहते हैं वहां उनका नित्य सेवक हनुमान होता है तथा वैभव की देवी सीता उपस्थित रहती हैं।
अत: अतहा अर्जुन के लिए किसी भी शत्रु से भय का कोई कारण नहीं है
श्लोक का सार ये है की
अर्जुन के लिए किसी भी शत्रु से भय का कोई कारण नहीं है. यदि आप अपनी इन्द्रियों का नियन्त्रण श्री हरि के निर्देशानुसार भगवद मार्ग पर चलकर करेंगें, तो जीवन की कैसी भी परिस्थिति में निश्चित विजय आपकी ही होगी
अगले वीडियो में जानेंगे कि अर्जुन ने श्री कृष्ण को युद्ध के प्रारम्भ से पहले क्या आदेश दिया
आज हम श्रीमद् भागवत गीता के श्लोक बीस से प्रारंभ करेंगे ॥
श्लोक बीस का सार ये है की