यह लोकतंत्र नहीं, धर्मतंत्र है
Ravish Kumar Official Ravish Kumar Official
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 Published On Jan 17, 2024

लोकतंत्र की जगह धर्मतंत्र ने ली है। इस धर्मतंत्र के सामने भारत के लोकतंत्र की तस्वीर धुंधली होती जा रही है बल्कि धर्मतंत्र इतना हावी हो चुका है कि इसके बग़ैर आज के भारत में आप लोकतंत्र देख भी नहीं सकते हैं। धर्म तंत्र का मतलब ही ऐसा हो गया है कि पार्टियां धार्मिक आयोजन कराने वाली संस्था में बदलती जा रही हैं। पहले धर्म से दूरी बनाकर रखती थीं मगर अब पार्टियां राजनीति से ही दूरी बनाने लगी हैं। पूंजी के दबाव में राजनीतिक दलों के भीतर राजनीति खत्म हुई और अब धर्म का नाम लेकर लोकतंत्र के मैदान से ही राजनीतिक दल खत्म हो रहे हैं। अगर लोकतांत्रिक चरित्र पर धार्मिक चरित्र हावी हुआ तो वह लोकतंत्र को नौटंकी में बदल देगा। एक दिन धर्म भी नौटंकी की तरह नज़र आने लगेगा।मेरी इस बात को लिख कर पर्स में रख लीजिए

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