Book Cafe को इस सप्ताह Advik Publication से मिलीं जो 7 पुस्तकें | Nayi Kitabein | EP 145
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 Published On Apr 27, 2024

पुस्तकें आपके ज्ञान को बढ़ाती हैं, साथ ही आपका मनोरंजन भी करती हैं. इनसे बेहतर आपका कोई दोस्त नहीं हो सकता. ये भाषा और विचारों के स्तर पर आपको समृद्ध करती हैं, तो दुनिया-जहान की बातें भी आपको बताती हैं. इसीलिए 'साहित्य तक' के 'बुक कैफे' में 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन किसी न किसी पुस्तक की बात होती है.
इसके निमित्त प्रकाशकों का भरपूर सहयोग भी साहित्य तक को मिलता रहा है, और आप सबके लिए हमारे पास हर सप्ताह ढेरों किताबें आ रही हैं. पुस्तकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक भी पुस्तक चर्चा से छूट न जाए, इसलिए हम 'नई किताबें' कार्यक्रम के तहत उन पुस्तकों की जानकारी आपको दे रहे हैं, जो 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए हमें प्राप्त हुई हैं. पहले सप्ताह में एक दिन होने वाला यह कार्यक्रम अब सप्ताह में दो बार आपके पास आ रहा है. यह 'बुक कैफे' की ही एक श्रृंखला है, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय आपको उन पुस्तकों की जानकारी दे रहे हैं.
इस सप्ताह हमें अद्विक पब्लिकेशन से जो पुस्तकें मिलीं हैं, उनमें डॉ के एस भारद्वाज की 'राजकुमारी रूपमती की आत्मकथा' इसका सम्पादन अमिताभ भारद्वाज ने किया है, विनीत पाण्डेय की 'साढ़े ढाई अक्षर व्यंग्य के', राज कमल की 'उस लड़की का नाम', नीना अन्दौत्रा की 'सरोरुह', संजीव जायसवाल 'संजय' की 'सूर्य की अर्धांगिनी हो तुम', डॉ चन्द्र त्रिखा की 'अमृता प्रीतम: स्मृतियों के झरोखे से' और कैलाश मंडलेकर की 'कैलाश मंडलेकर के चर्चित व्यंग्य' शामिल हैं. पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए साहित्य तक की इस पहल के साथ जुड़े रहें. हर सप्ताह ठीक शनिवार और रविवार इसी समय यहां आप जान सकते हैं कि किस प्रकाशक विशेष की कौन सी पुस्तकें, हमें यानी साहित्य तक को 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए मिली हैं.
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