Vrindavan | वृंदावन (Rap Version) - Ghor Sanatani
GHOR SANATANI GHOR SANATANI
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 Published On Mar 16, 2024

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Credits:-

Lyrics :- भक्त सुशील शर्मा
Singer - Ghor Sanatani
Rapper - Ghor Sanatani
Music - Ghor Sanatani
Mix/Master - Ghor Sanatani
Poster/Video - Ghor Sanatani

Flute/Harmonium - Vishnu





LYRICS :-

श्यामा, आन बसो वृंदावन में मेरी उमर बीत गई गोकुल में मैं तो बन के दुल्हन आज सजी बस तुम ही हो मेरे तन-मन में


राधा-
पल पल राह निहारती, आँखें तेरी ओर
जब से बिछुड़े सांवरे, दुख का ओर न छोर
कान्हा तेरी याद में ,नैनन नींद न आय
काजल अँसुवन बह t , हिया हिलोरें खाय
कृष्ण कृष्ण को देखने ,आँखें थीं बेचैन
वाणी तेरा नाम ले ,थके नहीं दिन रैन

सुनो द्वारिकाधीश तुम ,क्यों करते हो व्यंग।
हम सब को छोड़ा अधर ,जैसे कटी पतंग
तुम द्वारिकाधीश ,हम ब्रज वासी ग्वाल।
हम सबको बिसरा दिया ,हो गए कितने साल
बहुत दूर तुम आ गए ,कृष्ण कन्हैया आज।
तुमको अब भी टेरती ,गायों की आवाज़।

ब्रजमंडल सूना पड़ा ,जमुना हुई अधीर।
निधिवन मुझसे पूछता ,वनिताओं की पीर।
बहुत ज्ञान तुमने दिया ,गीता का हो सार।
क्यों छोड़ा हमको अधर ,तुम ही थे आधार
भक्तों के भगवान तुम ,मेरे हो आधीश।
अब तो आँखों में बसो ,आओ मेरे ईश।
सौतन बंशी आज भी ,अधरों पर इतराय।
राधा जोगन सी बनी ,निधिवन ढूढंन जाय




पर्वत जैसी पीर है, ह्रदय बड़ा अकुलाय
राधा राधा जप रहा, विरही मन मुरझाय।
मुकुट मिला वैभव मिला ,और मिला सम्मान
लेकिन तुम बिन व्यर्थ है स्वर्णकोटि का मान
जबसे बिछुड़ा राधिके ,नहीं मुझे विश्राम
हर पल तेरी याद है ,हर पल तेरा नाम।
स्वर्ग भी मुझको मिल जाए , नहीं राधिका साथ।
त्यागूँ सब उसके लिए ,उसके दर पर माथ।
सत्य कहा प्रिय राधिके ,मैं अपराधी आज।
किन्तु तुम्हारे बिन सदा ,मौन हुई आवाज
राधा बिन सब सुना है ना बन पावे कोई काम
नहीं विसरता आज भी ,वो वृन्दावन धाम।
कर्तव्यों की राह पर ,कृष्ण हुआ मजबूर
वरना कृष्ण हुआ कभी ,श्री राधे से दूर।
जनम देवकी से हुआ ,जसुमति गोद सुलाय।
ग्वाल बाल के नेह की ,कीमत कौन चुकाय।
कृष्ण भटकता आज भी ,पाया कभी न चैन।
कर्तव्यों की राह में ,सतत कर्म दिन रैन।
युद्ध विवशता थी मेरी ,नहीं राज की आस।
सत्य धर्म के मार्ग पर ,चलते शांति प्रयास।
नहीं बिसरत है आज भी ,निधिवन की वो रास।
राधे तुम को त्याग कर खुद भोगा वनबास।
बिन राधे कान्हा नहीं ,बिन राधे सब सून।
बिन राधे क्षण क्षण लगे ,सूखे हुए प्रसून।
बनवारी सबके हुए ,राधा ,कृष्ण के नाम।
बिन राधा के आज भी ,कृष्ण रहें बेनाम।

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