श्री कृष्ण लीला | कृष्ण सुदामा (भाग -2)
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 Published On Premiered Sep 11, 2022

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मधुराष्टकम्। नीति मोहन।सिद्धार्थ अमित भावसार। श्री कृष्ण जन्माष्टमी विशेष। तिलक प्रस्तुति

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बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद।

Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here -    • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...  

Watch the story of "Krishna Sudama (Part-2)" now!

Watch Janmashtami Special Krishna Bhajan - Govind Madhav Jai Jai Gopal by Dev Negi - http://bit.ly/GovindMadhavJaiJaiGopal

रुक्मिणी श्री कृष्ण से कहती हैं की यह सब लीला आप की है थी जो अपने मित्र के लिए कभी सांवले शाह तो कभी मुरली मनोहर बन रहे थे। रात्रि में श्री कृष्ण सुदामा के लिए बीछोना लगाते हैं और उसे वहीं सुलाते हैं। श्री कृष्ण गीत गाते हैं तो सुदामा की नींद खुल जाती है और सुदामा मुरली मनोहर से प्रेम और भक्ति पर वार्ता करते हैं। चक्रधर को राजा अपने पास बंदी बना कर अपने सामने खड़ा करके उसे गीत गाकर गुणगान करने के लिए कहता है लेकिन जब चक्रधर राजा का गुणगान करने के लिए मना कर देता है। चक्रधर राजा को कहता है की अब वह सिर्फ़ भगवान का ही गुणगान करेगा किसी इंसान का नहीं। राजा चक्रधर से क्रोधित हो जाता है। राजा चक्रधर को क़िले की सीढ़ियों से फेंकने के आदेश देता है। श्री कृष्ण मुरली मनोहर के रूप में सुदामा के साथ रात भर एक खंडहर में रुकते हैं और प्रातः श्री कृष्ण सुदामा को पूजा करने के लिए फूल लाते हैं सुदामा जब भगवान की पूजा करते हैं तो श्री कृष्ण प्रेम गीत गाने लगते हैं जिस से सुदामा की पूजा से ध्यान टूट जाता सुदामा श्री कृष्ण को अपने साथ भगवान की स्तुति अपने साथ गाने के लिए बुलाता है और दोनो श्री कृष्ण वंदना करते हैं। श्री हरी सुदामा की भक्ति और पूजा से प्रसन्न हो कर दर्शन देते हैं सुदामा को दर्शन देने के बाद अंत्रध्यान हो जाते हैं जिसके बाद सुदामा फिर से माया के वश में सब भूल जाता है।

मुरली मनोहर सुदामा को अपने साथ द्वारिका के पास ले आता है। मुरली मनोहर श्री कृष्ण को द्वारिका नगरी में छोड़कर सुदामा से विदा ले लेता है। सुदामा श्री कृष्ण का पता ढूँढते हुए द्वारिका में घूमते हुए द्वारिका को भी निहारता है। नगर में सुदामा को परेशान देख कुछ नगर वासी सुदामा को अपने पास बुलाते हैं तो सुदामा श्री कृष्ण से उनका पता पूछते हैं तो वो उन्हें रास्ता बता देते हैं। सुदामा जब उन्हें बताता है की श्री कृष्ण उनका मित्र है तो वो उसकी इस बात पर हंसते हुए वहाँ से चले जाते हैं। सुदामा उन नगर वासियों की बात सुन कर सोच में पड़ जाता है की मैं श्री कृष्ण से मिलने जौ या नहीं। सुदामा श्री कृष्ण के महल के सामने आकर वहाँ खड़े सैनिकों से श्री कृष्ण से मिलने के लिए कहते हैं तो सैनिक सुदामा से पूछते हैं की आप किस काम से आए हैं तो सुदामा सैनिक को बताता है की मैं श्री कृष्ण का बाल सखा हूँ उनसे मिलने के लिए आया हूँ तो सैनिक उनकी बात नहीं मानते तभी वहाँ अक्रूर आ जाता है और सुदामा की बात सुन सैनिक को श्री कृष्ण के पास सुदामा का संदेश लेकर जाने को कहते हैं। श्री कृष्ण के पास सैनिक जाता है। सुदामा द्वार पर खड़ा होकर लोगों की बातें सुनकर दुबारा सोच में पड़ जाता है।

सैनिक जब श्री कृष्ण को बताता है की द्वार पर सुदामा नाम का ब्राह्मण आया है और वह आपसे मिलने को कह रहा है। सुदामा का नाम सुन श्री कृष्ण सुदामा की ओर दौड़ पड़ते हैं। सुदामा श्री कृष्ण से मिले बिना ही जब वापस जाने के लिए चल पड़ता है तो श्री कृष्ण सुदामा के पीछे पीछे दौड़ते हुए पहुँच जाते हैं। श्री कृष्ण को सुदामा के लिए विचलित देख सभी नगर वासी और सैनिक अचंभित हो देखते रह जाते हैं। श्री कृष्ण सुदामा को अपने गले लगा लेते हैं और दोनों एक दूसरे से मिलकर ख़ुशी में रो पड़ते हैं। श्री कृष्ण सुदामा को अपने साथ अपने महल में चलने को कहते हैं। लेकिन सुदामा श्री कृष्ण को मना करते हैं की मैं दरिद्र हूँ मेरी वजह से तुम्हारी मान हानि होगी मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे दर्शन करने को आया था। इस बात को सुन श्री कृष्ण सुदामा को समझाते हैं की तुम मेरे मित्र हो और मित्र अमीरी ग़रीबी नहीं देखती। श्री कृष्ण सुदामा को अपने रथ में बैठा कर अपने महल में ले जाते हैं वहाँ उनका स्वागत किया जाता है। श्री कृष्ण की तीनों पत्नियाँ सुदामा का स्वागत करती है और उनकी आरती उतरती हैं। श्री कृष्ण सुदामा को अपने सिंहासन पर बैठते हैं।

श्री कृष्ण सुदामा के पैरों से काँटे निकलते हैं और उनके चरणों को धोते हैं। सुदामा को श्री कृष्ण के सेवक स्नान करते हैं और नए वस्त्र पहनाते हैं। सुदामा श्री कृष्ण को अपने घर से लाये तनदमूल को अपने हाथ में लेकर सोच में पड़ जाता है की ये श्री कृष्ण को कैसे दे सकता हूँ इस से उनकी लोग हंसी लगाएँगे इसी बात को सोचते हुए वह अपनी पोटली को छुपा देता है। सुदामा श्री कृष्ण को अपने घर से लाये तनदमूल को अपने हाथ में लेकर सोच में पड़ जाता है की ये श्री कृष्ण को कैसे दे सकता हूँ इस से उनकी लोग हंसी लगाएँगे इसी बात को सोचते हुए वह अपनी पोटली को छुपा देता है। श्री कृष्ण सुदामा को पोटली छुपते हुए देख लेते हैं और सुदामा से श्री कृष्ण ज़िद करते हुए पोटली छिन लेते है।

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