भरी सभा में क्यों हुआ द्रौपदी का अपमान? || आचार्य प्रशांत, भागवत पुराण पर (2017)
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 Published On May 6, 2024

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वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 17.7.17, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा, भारत

प्रसंग:
~ भरी सभा में क्यों हुआ द्रौपदी का अपमान?
~ द्रौपदी के पास पाँच पराक्रम पति रहने के बावजूद चीर हरण क्यों हुआ?
~ द्रौपदी को जुओं में क्यों बेच दिया गया था?
~ कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा कैसे करी ?


द्रौपदी का अपमान
धर्मराज युधिष्ठिर के द्यूतक्रीड़ा में अपना सम्पूर्ण राज्य सोना, चाँदी, घोड़े रथ और चारों भाइयों को हारने के बाद उनके पास कुछ नहीं बचा। तो उन्होनें अपनी पत्नी को भी दांव पर लगा दिया और उसे राज्य सभा में बुलवाया। युधिष्ठिर के सबकुछ हार जाने के बाद कौरवों की खुशी का ठिकाना न रहा। दुर्योधन के कहने पर दुःशासन द्रौपदी को बाल से पकड़कर घसीटता हुआ सभा-भवन में ले आया। दुर्योधन ने कहा कि द्रौपदी अब हमारी दासी है। दुर्योधन के कहने पर दुःशासन द्रौपदी के वस्त्र उतारने लगा। जब दुःशासन द्रौपदी के वस्त्र उतारने लगा तब द्रौपदी को संकट की घड़ी में कृष्ण की याद आई. उसने कृष्ण से अपनी लाज बचाने की प्रार्थना की, तभी सभा में एक चमत्कार हुआ। दुःशासन जैसे-जैसे द्रौपदी का वस्त्र खींचता जाता वैसे-वैसे वस्त्र बढ़ता भी जाता। वस्त्र खींचते-खींचते दुःशासन थककर बैठ गया।
भीम द्रौपदी का अपमान न सह सका। उसने प्रतिज्ञा की कि दुःशासन ने जिन हाथों से द्रौपदी के बाल खींचें हैं, मैं उन्हें युद्ध में उखाड़ फेंकूँगा। दुर्योधन अपनी जाँघ पर थपकियाँ देकर द्रौपदी को उस पर बैठने का इशारा करने लगा। तो भीम ने दुर्योधन की जाँघ तोड़ने की भी प्रतिज्ञा की। भीम ने प्रतिज्ञा की कि जब तक दुःशासन की छाती चीरकर उसके गरम खून से अपनी प्यास नहीं बुझाऊँगा तब तक इस संसार को छोड़कर पितृलोक नहीं जाऊँगा। अंधे धृतराष्ट्र बैठे-बैठे सोच रहे थे कि जो कुछ हुआ वो उनके कुल के संहार का कारण बनेगा। उन्होंने द्रौपदी को बुलाकर सांत्वना दी। युधिष्ठिर से दुर्योधन की धृष्टता को भूल जाने को कहा तथा उनका सब कुछ वापस कर दिया।


संगीत: मिलिंद दाते
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